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खैंच शमशीर, चाव दिल के निकाल / सौदा
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खैंच शमशीर1, चाव दिल के निकाल
आज दर पर तिरे पड़ा हूँ निढाल
शैख़, इस दाढ़ी पर तू नाचे है
क्या है ऐस मसख़रे, ये तेरा हाल
दाढ़ी मुल्ला की जूँ गेहूँ का खेत
ले गये लड़के करके इक-इक बाल
उसकी क़ामत2 को सेहने-गुलशन में
हो गये सरो3 देखते ही निहाल
दे है दौलत फ़लक4 हमें लेकिन
उससे हम लें, ये क्या है ऐसा माल
ले मिरे दिल को देके अपना दिल
संग5 के मोल ये बिके है माल
मेवा नख़्ले-उमीद6 से 'सौदा'
जितना चाहे तू खा, पे7 तोड़ न डाल
शब्दार्थ:
1. तलवार 2. काया 3. एक पौधा जो सीधा खड़ा होता है 4. आकाश 5. पत्थर 6. आशा का वृक्ष 7. पर, लेकिन