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खोदो पहाड़ / निकिता नैथानी

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खोदो पहाड़
और मिटा दो सबकी हस्ती
जँगल मानव सबकी बस्ती

खोदो पहाड़
बान्ध बना कर रोक दो नदियाँ
और बहा दो ख़ून की धारा

तोड़ के पत्थर शिखर उजाड़ो
पर्वत रेगिस्तान बना दो

खोदो पहाड़
गाँव छोड़ दो शहर बसाओ
जल-जंगल के दाम बताओ

मुँह खोल कर खड़े हैं मालिक
कब निगले कब निगल-पचाएँ

शहर गया मज़दूर मरा और
गाँव रहा मज़दूर मरा

खोदो पहाड़
वो नहीं तुम सच्चे मालिक
लौट के आओ और जुट जाओ
सब मिलकर के पहाड़ बचाओ

और मिटा दो उनकी हस्ती
जो थे चले मिटाने
आपके और हमारे जंगल-बस्ती

खोदो पहाड़ ।