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खोये-खोये-से हो हुआ क्या है / साग़र पालमपुरी


खोये-खोये-से हो हुआ क्या है?
कुछ बताओ ये माजरा क्या है?

भूल कर ख़ुद को भी नहीं चाहा
ये बताओ मेरी ख़ता क्या है?

जाये परदेस कोई फिर ये कहे
अजनबी क्या है, आशना क्या है

नाम लेते हैं तेरा जीने को
और फ़क़ीरों का आसरा क्या है?

दिल लगाते किसी से तो कहते
बेवफ़ाई है क्या वफ़ा क्या है

आदमीयत के जो पुजारी हैं
वो नहीं जानते ख़ुदा क्या है

पूछ लो प्यार करने वालों से
प्यार के जुर्म की सज़ा क्या है?

ग़म ज़ियादा हैं कम ख़ुशी ‘साग़र’!
और इस बज़्म में धरा क्या है?