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खोल दो यह बंद मुट्ठी, / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
खोल दो यह बंद मुट्ठी,
फूल को ताज़ी हवा पाने दो,
सुगंध बनकर इसे दिशाओं में उड़ जाने दो,
माना कि इसे बंद रखने से
तुम्हारी हथेली सुगन्धित हो गयी है,
किन्तु फूल के मुँह की ओर तो देखो
इसकी वह मुस्कान, आज कहाँ खो गई है!