आवाज़
गूँजती रहती है मुझ में
जो
मुझ को गा रही है
यह खो गया मैं
जिस में
मेरी खोज में है वह
ज़ख़्म जो हरा है
मुझ से
मुझ में भर रहा है
मृत्यु जी रही जो
मुझ को
मुझ में मर रही है ।
—
25 अगस्त 2009