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गंगा असननियाँ चललन दुलरइता दुलहा हे / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बाबा फुलवरिया लवँग<ref>लवंग</ref> केर गछिया, अरे दह<ref>यह केवल स्वर निर्वाह के लिए प्रयुक्त निरर्थक शब्द है</ref>।
जुहिया फुलल कचनरिया, अरे दह॥1॥
घोड़वा चढ़ल आवइ दुलहा दुलरइता दुलहा, अरे दह।
कते<ref>कितनी</ref> दूर हइ<ref>है</ref> ससुररिया, अरे दह।
कइसन हइ दुलहिनियाँ, अरे दह॥2॥
धीरे-बोलूँ, धीरे बोलूँ दुलहा दुलरइता दुलहा, अरे दह।
नजिके<ref>नजदीक ही</ref> बसहइ<ref>बसता है</ref> ससुररिया, अरे दह।
काँच<ref>कची</ref> कली हइ दुलहिनियाँ, अरे दह॥3॥

शब्दार्थ
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