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गई शताब्दी का हिसाब / राजेन्द्र जोशी
Kavita Kosh से
वे हर शताब्दी
चोला बदलते हैं
और चले आते
नभ में, जल में और आकाश में
कभी नहीं बिगड़ा
उनका टाइम-टेबल
रखते हमेशा संभाल कर
पुराने चोले को
नए चोले की अन्दर वाली जेब में
उस चोले की कतरन को
आकर मेरे सिरहाने
गई शताब्दी का हिसाब करते हैं
मौन रहकर वेे।