भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गउरा ऐतन तपवा कइलू तू / महेन्द्र मिश्र
Kavita Kosh से
गउरा ऐतन तपवा कइलू तू बउरहवे लागी ना।
बउरहवे लागी ना हो बउरहवे लागी ना।।
इनका दुअरवा गउरा सूपवो ना दउरा,
हो बउरवे लागी ना।।
घर ना दुअरवा गउरा भीखे के ठेकाना,
हो अलखिए लागी ना।।
कहत महेन्द्र भोला अवढर दानी हउअन,
हो त्रिभुवन के स्वामी ना।
गउरा एतना तपवा कइलू।