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गए नूनू! / यात्री
Kavita Kosh से
आथ पर उत्तुँग खोपा...
तपोवनी स्टाईलमे बान्हल...
आ’ ताहिमेँ लपेटल चम्पाफूलक माला...
गए नूनू!
ककर ककर प्राण लेवहो तोँ आइ?
हमर कोँढ़ करेज कपइए
थर थर थर थर, थर थर थर थर।
वयोवृद्ध तटस्थ तपस्वीलोकनिक
अहिना दलकल हे इन छाती
मदन-दीन -दिवसक पहिलुका उखड़ामे
किशोरी नगनन्दिनीक रंग-ताल देखि
उठल हेतइन कचोट...
अधटित घटन - संम्भावना - दोलित चित्त
काँपल हेतइन कोँढ़
थर थर थर थर, थर थर थर थर
गए नूनू, नेना नइ बहरो!