हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
गजराई नै टेर लगाई गज घंटा दिया बजाई
बचा दिए उन के प्राण गरड़ चट्ढ आइयो जी भगवान
द्रोपदा नैं टेर लगाई उन की साड़ी तुएं बढ़ाई
मार्या दुसासन का मान गरड़ चड्ढ आइओ जी भगवान
नरसी ने दान कर्या था सरसै मैं भात भर्या था
कर दिया हुंडी का भुगतान गरड़ चड्ढ आइओ जी भगवान
दास तेरा कहवाऊं कर दरसण खुसी हो जाऊं
राख्यो मेरी तरफ को ध्यान गरड़ चड्ढ आइओ जी भगवान