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गणित की किताब / हेमन्त देवलेकर
Kavita Kosh से
तूने अब फिसलना भले ही छोड़ दिया हो
पर फिसलपट्टी ने
तेरा साथ नहीं छोड़ा है
वह तेरी गणित की किताब में
वर्गमूल का चिन्ह हो गई है
कभी जमीन छूता
कभी आसमान होता -
सी सॉ
गुणा का चिन्ह बन गया है
और हर वक्त टप्पे खाती,
लुढ़कती तेरी गेंद
अंकों को अनंत तक
दौड़ाने में दक्ष हो गई है
अब शून्य कहलाती है
तेरे आईसक्रीम का कोन
बदल गया है शंकु में
तेरे चित्रों के सारे पहाड़
अब त्रिभुज बन गए हैं
और उगता हुआ सूरज
वृत्त के रूप में पूरा उग चुका है