भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गणेश वंदना / पद्मजा बाजपेयी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देवों के देव गजानन!

हमारा नमन करो स्वीकार। ....
शब्दों का ही फूल ही चढ़ाऊँ,
शब्दों का ही हार,
हमारा नमन...
अर्थ पूर्ण हो काव्य हमारा।
ऐसा दो वरदान, बुद्धि के भंडार।
हमारा नमन करो...
भक्ति भाव को कभी न भूलूँ,
ऐसा दो वरदान,
हमारा नमन करो स्वीकार।