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गति से तालमेल / राग तेलंग
Kavita Kosh से
रातों-रात कुछ भी नहीं बदलने वाला
न ही कभी अचानक आती है ख़बर कि खुल गए भाग्य
सब धीमे-धीमे बदलता है
इसी तरह ही आगे बढ़ते हैं भविष्य के क़दम
जिस एक दिन तुम ख़ुश हुए थे
उसके पीछे
कई दु:ख भर दिनों से गुज़रकर आने का अर्थ निहित था
जिस दिन तुम रोए
तब आने वाले दिनों में
छुपी हुई थी तुम्हारे हिस्से की ख़ुशी
ये जो सब दोस्त हैं न !
ये एक दिन में नहीं बने
ये एक लंबी यात्रा के तहत
चलकर आए हैं साथ तुम्हारे
रातों-रात कुछ भी नहीं बदलता
समय की अपनी गति है
उससे तालमेल बैठाना होगा
तब अगर अवसरों के मुताबिक होंगी अपेक्षाएँ
तो समय के अनुकूल चलेगा जीवन ।