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गधा कम्प्यूटर / शरद चन्द्र गौड़

Kavita Kosh से
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मैं हमेशा दौड़ में
पिछड़ जाता
हैंग हो जाता, स्लो हो जाता
हर प्रकार के वायरस मुझे सताते
मुझे चलाने वाले
हाथ से काम कर
मुझ से आगे निकल जाते
मैं गधा कम्प्यूटर
मेरी विंडो खुलने के पहले
क्लोज हो जाती
मेरी मदर बोर्ड मुझे सताती
मेरा प्रिंटर
एक घण्टे में
एक प्रिंट निकालता
मैं गधा कम्प्यूटर

मुझे चलाने वाला
रोज़ झल्लाता
माऊस टेबल पर पटकता
और खाम-खा
की-बोर्ड के बटन
खटखटाता
कुर्सी पर पीछे झुकता
माऊस से
मिनीमाईज-मेक्सीमाईज करता
सी०पी०यू० के डब्बे को
हाथ से ठक...ठकाता
यू०पी०एस० के तारों को
निकालकर पुनः लगाता
अपनी क़िस्मत को कोसता
और पुनः
की-बोर्ड के बटन
खटखटाता
मैं गधा कम्प्यूटर

मेरा एंटी-वायरस
खुद वायरस से
इन्फेक्टेड हो जाता
अपग्रेड करने के लिए
रोज संदेश पढ़ाता
वायरस मेरे साथ
गुल्ली-डंडा खेलते
मेरे कहने पर कि
मैं एण्टी-वायरस हूँ
मुँह टेढ़ा कर जीभ चिढ़ाते
मैं हैरान-परेशान
ताकता अपने चलाने वाले को
और सोचता
मैं हूँ गधा कम्प्यूटर