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गन्दे जो हैं अच्छा करते-रहते हैं / दीपक शर्मा 'दीप'

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गन्दे जो हैं अच्छा करते-रहते हैं
अच्छे-अच्छे भद्दा करते-रहते हैं

दुनिया चें-चें-पें-पें करती रहती है
करने वाले अपना करते-रहते हैं

अम्मा भी मुझपे ख़ौराई रहती हैं
बाबू जी भी गुस्सा करते-रहते हैं

वैसा-वैसा पाते भी हैं सबके सब
भइया!जैसा-जैसा करते-रहते हैं

बाहर आ के रोटी तक के लाले हैं
मालिक पैसा-पैसा करते-रहते हैं

कुछ तो मेरे जैसे भी होते हैं, जो
बेजा को ही बेजा करते-रहते हैं

बैठे-बैठे आँच लगा के माज़ी की
यादे-जां को हलवा करते-रहते हैं