गपियां नै गपोड़े रूडाए हिंदुस्तान म्हं / मुंशीराम जांडली
गपियां नै गपोड़े रूडाए हिंदुस्तान म्हं
गोबर म्हं तै गोरख होग्या हवा मैं तै हनुमान
लंका छोड़ बिलंका कुदया छाळ मैं लगाया ताण
पर्वत लेकै ऊपर चढ़्ग्या भरत का ना टूट्या बाग
निकल्या सूरज झपट लिया पनमेशर का लेकै नाम
पांच सात दस घंटे सूरज मुंह के म्हं लिया थाम
फंकारे सेती किरण छुटी जब दुनिया म्हं दिख्या घाम
यें आछे घस्से रोड़े उजाड़ बियाबान म्हं
अंबर पै तै देवी उतरी हाथां म्हं करै थी खाज
ब्रह्मा नै सृष्टि रच दी विष्णु नै जमाया राज
बिना पृथ्वी मां ब्रह्मा की क्यां कै ऊपर खड़ी होगी
अंबर पैं तै देवी उतरी बिन धरती क्यां पै पड़ी होगी
बिना मनुष्य बेमाता नै देवी क्यूकर घड़ी होगी
अंबर तै बड़े सिवाड़े रै अनाड़ी बोले जहान मैं
ख्याल करकै सुणते जाइयो झूठ का भभूका भाई
राक्षसणी कै पैदा होग्या घड़ी म्हं घडुका भाई
अस्त्र शस्त्र लेकै भारत म्हं दडूक्या भाई
उसका लड़का मेघवर्ण पत्थर के चलाए तीर
दुर्योधन दुशासन सुगनी हार गए सारे वीर
कान म्हं तै कर्ण होग्या राक्षस का दिया गात चीर
मरे प्रजा के हाथी घोड़े अर्जन के एक बाग म्हं
दोसौ तीनसौ चारसौ पांसौ छसौ मण का पड़ग्या गोळा
भीम बली बलवान जहर पीगे मण सोळां
दरिया कै म्हं बहा दिया पताळ म्हं माच्या रोळा
सर्प कै एक लड़की कहिए अहलावती उसका नाम
भीम बली जीवा लिया सिद्ध किया अपणा काम
सत्तर कुंडी अमृत पीग्या ईश्वर का लेकै नाम
ये ठीक मात्रे जोड़े कवि “मुंशीराम” नै