भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गमछा और तौलिया / केदारनाथ सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने सुना-
तौलिया गमछे से कह रहा था
तू हिंदी में सूखरहा है
सूख
मैं अंग्रेज़ी में कुछ देर
झपकी ले लेता हूं।