भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गमन / आग्नेय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फूल के बोझ से
टूटती नहीं है टहनी
फूल ही अलग कर दिया जाता है
टहनी से

उसी तरह टूटता है संसार
टूटता जाता है संसार--
मेरा और तुम्हारा

चमत्कार है या अत्याचार है
इस टूटते जाने में
सिर्फ़ जानता है

टहनी से अलग कर दिया गया
फूल