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गम / निशांत मिश्रा
Kavita Kosh से
आज तो जिंदा हैं लेकिन,
कल हमारी लाश पर रोयेंगे वो भी,
हँसते हैं जो आज हम पर,
कल तुम्हारे साथ ही रोयेंगे वो भी...
दे दिए जिसने भी हमको,
प्यार में गम है गिला उनसे नहीं,
खुद ही तड़पेंगे वो कभी तो,
प्यार अपनाया हमारा क्यूँ नहीं...
दिल में ऐसे झख्म ले कर,
हो रहे रुख्सत अकेले हम नहीं,
प्यार में मिलते हैं अक्सर,
गम तो सबको उनसे बचा कोई नहीं..
कुचले जज्बातों सी सिसके,
है हमारी दास्ताँ उनकी नहीं,
ख़त्म हो जायेगा सब कल,
याद फिर हम आयें नहीं...