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गया है घुन सभी कुछ / श्यामसुन्दर घोष

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गया है घुन सभी कुछ
दूर तक गहरे, बहुत गहरे ।

बहुत चिनका हुआ शीशा
किसी ने रँग दिया जैसे,
बहुत चमका दिया हो या कि
घिसकर पुराने पैसे,

हुईं नज़रें सभी धुँधली
हुए हैं कान सब बहरे ।

बिवाई भरे पाँवों से
घिसटता चल रहा हर क्षण,
रुलाई रोककर सँभला
हुआ ज्यों-ज्यों सभी का मन,

ज़बां गूँगी सभी की
और उस पर हैं कड़े पहरे ।