गये घर की बैठी हो लिए रै / मेहर सिंह
वार्ता- रणबीर सैन और चन्द्रदत्त ने बाग में ग्यारह सखियों को देखा जिनमें एक राजकुमारी और दस उसकी सखियां थी। उन्होंने बाग में आकर स्नान किया और फूल मंगवाएं। राजकुमारी ने उन्हें पांव से छूकर दांतों से चबाकर सीने से लगाकर कानों में टांगकर सिर के ऊपर से राजकुमार की तरफ फैंक कर चली गई। चन्द्रदत्त ने कहा उस औरत से बच कर रहना वह तुम्हें संकेतों से समझा गई है कि फूलों को पांव से दबाने का अर्थ है कि यहां से चला जा नहीं तो जुते लगेंगे। दांतों से चबाने का अर्थ है तुम्हें काट खाऊंगी। छाती लगाने का अर्थ है कि कान फाड़ लिए जाएंगे तथा सिर के ऊपर से फैंकने का अर्थ है कि सिर को फोड़ दूंगी वरना यहां से चला जा।
रणबीर सैन कहने लगा कि राजकुमारी के शील स्वभाव को देखकर ऐसा अर्थ लगाना ठीक नहीं है। इसका ठीक-ठीक अर्थ समझाओ। रणबीर सैन के हठ करने पर चन्द्रदत्त कहता है कि फूलों को पांव से दबाने का अर्थ है कि उस का नाम पदमावत है दांतों से चबाने का अर्थ है कि वह दन्तसैन की पुत्री है, कानों से लगाने का मतलब है कि वह कर्नाटक की रहने वाली है, सीने से लगाने का अर्थ है कि वह तुम्हें दिल से प्रेम करती है और सिर के ऊपर से फूल फैंकने का अर्थ है कि वह शीश महल में रहती है। यह सब सुनकर रणबीर सैन कहता है कि अब तो राजकुमारी से मिलकर ही जाएंगें।
रणबीर सैन पदमावत के महल के पास पहुँचता है और क्या कहता है
के सोवै सै डायण अटारी महं, मेरा दम लिकड़ण नै हो रह्या
गये घर की बैठी हो लिए रै।टेक
सुती पागी तै आग्यी नजा,
मुझ बन्दे की गई लाग कजा,
के मजा मिल्या तेरी यारी म्हं तेरे कारण जिंदगी खो रह्या
गये घर की दिन मैं सो लिए रै।
ओढ कै सोगी धोली साड़ी,
भीतरली लई मूंद किबाड़ी
थारी फुलवारी की क्यारी म्हं यो आणा चाहावै था भौंरा,
गये घर की कहै थी खुशबो लिए रै।
कदे तो लोग कहैं थे भूप,
ईब हो लिया पक्का बेकूफ,
रुप जणु पड़या रहै तेल अंगारी म्हं तेरा चन्दन कैसा पौरा,
गये घर की मिठ्ठी बोल भेलो लिए रै।
कर लिया नशा के पी रही भंगा,
कदे कोए सुण कै आज्या दंगा,
मेहर सिंह थारी गंगा महतारी म्हं एक बामण जाटी आला बोर्या।
गए घर की बो प्रेम के जौ लिए रै।