गयै घर की बैठी हो लिए रै / मेहर सिंह
वार्ता- शेरखान दूती द्वारा दी गई तीनो निशानी-अंगूठी, कटारी व पटका लाकर दरबार में पेश करता है और कहता है कि जिस सोमवती को चापसिंह पतिव्रता स्त्री कहता था, मैंने उसी से दोस्ती कर ली है तथा मुलाकात की है और सोमवती ने यह चीजें मुझे दी है। दूती ने स्नान करती हुई सोमवती की बांई जांघ का तिल भी देख लिया था। अतः शेरखान उस तिल का जिक्र भी करता है। चापसिंह शर्त हार जाता है और उसकी फांसी का दिन निश्चित कर दिया जाता है। चापसिंह फांसी की सजा मंजूर कर लेता है परन्तु उससे पहले एक बार सोमवती से मिलने की इच्छा जाहिर करता है। उसे सोमवती से मिलने की इजाजत मिल जाती है। वह अपने महल में जाता है और क्या कहता है-
के सोवै सै डायण अटारी में मेरा दम लिकड़ण नै हो रहया
गयै घर की बैठी हो लिए रै।टेक
सूती पागी तै आगी नजा
मुझ बन्दे की गई लाग कजा
के मजा मिल्या तेरी यारी में तेरे कारण जिन्दगी खो रह्या
गये घर की दिन मैं सो लिए रै।
ओढ़ कै सोगी धोळी साड़ी
भीतरली लई मूंद किवाड़ी
थारी फुलवाड़ी की क्यारी में यो आणा चाहवै था भौंरा
गये घर की कह थी खुशबो लिए रै।
कदै तै लोग कहें थे भूप
ईब हो लिया पक्का बेकूफ
रूप जणु पड़या रह तेल अगारी में तेरा चन्दन कैसा पोरा
गये घर की मिट्ठी बोल भलो लिए रै।
कर लिया नशा के पी रही भंगा
कदे कोए सुण कै आज्या दंगा
मेहरसिंह थारी गंगा महतारी में एक बामण जांटी आला बो रहा
गये घर की बो, प्रेम के जौ लिए रै।