गरमी में भोरे-भोर / मुकेश कुमार यादव
गरमी में भोरे-भोर।
ठंडा-ठंडा हवा बहै जखनी।
सखी, पिया के याद आवै तखनी।
रात ऐलै सपना।
जहाँ देखला सजना।
लंबा-लंबा केश।
जोगी रंग भेष।
धरी गेलै परदेश।
छोड़ी कलह-कलेष।
संत भेलै जखनी।
सखी, पिया के याद आवै तखनी।
हवा
धीरे-धीरे बहै।
रोज नया संदेश कहै।
कानों में फुसकी-फुसकी।
मन-ही-मन मुसकी-मुसकी।
हौले-हौले जखनी।
सखी, पिया के याद आवै तखनी।
ऐंगना
कागा बोलै।
आगू-पीछू डोलै।
डगर निहारै।
बुहारै छी जखनी।
सखी, पिया के याद आवै तखनी।
रात
सरंग देखी।
चाँद-तारा परेखी।
मन अकुलाय।
लागै कोय बुलाय।
लाज-शरम भुलाय।
आवाज दै छै जखनी।
सखी, पिया के याद आवै तखनी।
खेत
खाली-खाली।
गाय-बकरी।
मैना, बटेर, टिटही।
उड़ी-उड़ी आरी।
मिघरलो धान क्यारी।
बैठै छै जखनी।
सखी, पिया के याद आवै तखनी।
आश
विरहन रो विश्वास।
गर्मी रंग निराश।
जीव-जंतु हताश।
शहर भेलै या गाँव।
ठंडा-ठंडा छांव।
अपनो-अपनो ठांव।
खोजै छै जखनी।
सखी, पिया के याद आवै तखनी।
आम
बाग-बगीचा बौराय।
खूशबू फैलाय।
गांव-घर गमकाय।
मन महकाय।
सोहाय छै जखनी।
सखी, पिया के याद आवै तखनी।
जांतो
सत्तू पिसै खिनी।
गुनगुनाय छी तनी।
बनी-ठनी।
साड़ी रो पल्लू।
सरकी निठ्ठलू।
चिड़ाय छै जखनी।
सखी, पिया के याद आवै तखनी।
कुआं
पानी भरै ले गेली।
बाल्टी करै अठखेली।
हँसै सखी-सहेली।
बार-बार ठिठोली।
लहंगा-चोली निहारै जखनी।
सखी, पिया के याद आवै तखनी।
शाम
दिनभर करी आराम।
हाय राम!
पिया रो नाम।
चिठ्ठी लिखी।
अगल-बगल देखी।
ध्यान से सिखी।
पढ़ै छियै जखनी।
सखी, पिया के याद आवै तखनी।
पूजा
रोज करला।
घी रो दीया बारला।
जेतना जानलां।
सबकुछ आनलां।
बैठी धरै छी ध्यान जखनी।
सखी, पिया के याद आवै तखनी।