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गरीबी केहन अभिसाप / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना

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गहूम के बोझा ढोइत
बसाइत देह के
निहारइत बनिहार
लोभा गेल हए-
ओक्कर गट्ठल देह के देख क।
जब ऊ चलइअऽ-
बोझा लेकऽ
त लचकइत बोझा
ओक्कर लचकइत डार में
ओझरा-ओझरा जाइअऽ
ओक्कर रूप के।
ओक्कर माथा से
बून्नी जइसन टपकइत पसीना
सोना जईसन दमकइअऽ
ओकरा चेहरा पर।
त बनिहार के बानिहारी
मेहरबानी में बदलेला
आतुर हो जाइअऽ।
त एकबार फेनू
गरीबी अभिसाप नजर आवे लगईअऽ।