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गर्मी से बेहाल छै / मुकेश कुमार यादव
Kavita Kosh से
वसंत ऋतु गेलै।
ग्रीष्म ऋतु ऐलै।
गर्मी से बेहाल छै।
सबरो बुरा हाल छै।
सुखलो नदी-ताल छै।
है गर्मी ते काल छै।
सबरो बुरा हाल छै।
गर्मी रो मौसम आवै छै।
सबके बड़ी सतावै छै।
आसमान से सूरज ते-
गरम धूप बरसावै छै।
जेठ-बैशाख महीना ऐतै।
गर्मी रो पारा चढ़ी जैतै।
गरम हवा रो झोका चलतै।
सड़क तपतै, पांव जलतै।
घर से निकलना मुश्किल लगतै।
पेड़-पौधा मुरझाय छै।
नदी-नहर सुख्खी जाय छै।
पंछी खोजै छांव।
दुबकी बैठी जांव।
गर्मी केरो ठांव।
सब रो लेलो काल छै।
गर्मी से बेहाल छै।