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गर्म- चाय सी / कविता भट्ट
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1
गर्म- चाय सी
मनभावन चुस्की
प्रीत तुम्हारी।
2
सर्दी- सा दुःख
दो घूँट जिंदगी की
चाय है; चखो।
3
सर्द न होना
चाय की प्याली जैसे
अधर धरो।
4
मैं चाय- प्याली
तू प्लेट हलुए की
जीवन बर्फ।
5
सर्द हैं रातें
चाय की प्याली बन
मिठास घोलो।
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