भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गर्म पकौड़ी खायी / मुस्कान / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
बाहर से इक नन्ही चुहिया
आयी दौड़ी दौड़ी।
माँ से बोली-आज बना दो
गरमागरम पकौड़ी॥
माँ ने पूछा-अरी हठीली,
कहाँ सीख कर आयी?
चुहिया बोली-पप्पू की
मम्मी ने आज बनायी॥
मम्मी ने झट बेसन घोला
थोड़ा नमक मिलाया।
हरी मिर्च आलू के कतरे
बैंगन डाल बनाया।
चुहिया ने जल्दी से अपनी
सखियाँ सभी बुलायीं।
बड़े मजे से सबने मिल कर
गरम पकौड़ी खायी॥