हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
गलती मैं जो कुछ बणी सो बणी इब तै सोच समझ कै चाल
चोरी जारी अन्याई की कहां बनी टकसाल
बिना पड्ढाए सारे पट्ढ ग्या करम किए चंडाल
पट्टी तो तन्ने बदी की लिखी इब तैं सोच समझ कै चाल
कान पकड़ कै आगै करलै इक दिन तन्ने काल
भाई बंध तेरा कुंटब कबीला किसे की ना चालै ढाल
बणेगी तेरे जिए नै घनी इब तै सोच समझ कै चाल
धरमराज तेरे कर्म्मा की एक दिन करै संभाल
जिगर मैं लागै सेल की अणी इब तै सोच समझ कै चाल
आच्छे बुरे सब देख लिये ये दुनिआं कै ख्याल
छोड्या जा तो छोड़ दे बंदे यो ममता का जाल
अनीती तन्ने भोत करी इब तै सोच समझ कै चाल