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गलफर में जहर / 3 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
Kavita Kosh से
धोबी नें
गदहा केॅ डांटलकै-
किये बार-बार हिचिचाय रहलैं?
गदहां कहलकै-
झूठ फरेब/चोरी राहजनी
तै नै कैलिये
आदमी सें तेॅ अच्छा छियै
रोज-रोज कचहरी नै जाय छियै।
अनुवाद:
धोबी ने
गदहे को डांटा-
क्यों बार-बार हिचिया रहे हो?
गदहे ने कहा-
झूठ-फरेब/चोरी-राहजनी
तो नहीं किया
आदमी से तो अच्छा हूँ
रोज-रोज कचहरी नहीं जाता।