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गळगचिया (32) / कन्हैया लाल सेठिया

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आगियो पूछयो-दिवला थारी उजळी जोत में स्यूं ओ काळो काळो काँई निकळै है ?
दिवला बोल्यो-भाई ओ म्हारै पापी मन रो पिसतावो है।
आगियो कयो-जणाँ ही संसार आँख्याँ में घालै है के ?