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गवना न करा। / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
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गवना न करा।
खाली पैरों रास्ता न चला।
कंकरीली राहें न कटेंगी,
बेपर की बातें न पटेंगी,
काली मेघनियाँ न फटेंगी,
ऐसे ऐसे तू डग न भरा।
कुछ भी न बता तू रहा पता,
सपने-सपने दे रहा घता,
जो पूरा-पूरा माल-मता,
मुरझा न जायगा बाग हरा।