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गवाक्ष / सुनीता जैन
Kavita Kosh से
पहाड़ों से घिरे
चीड़ के जंगल में
सनसनाती हवा को उसने
जब पहली दफे सुना,
बहुत छोटी थी
पर तब भी जाने क्यों
पूरी काया
सिटपिटा गई थी
मानों किसी गवाक्ष से
देख लिया हो
रहस्य कोई-
यों डर गई थी
वही सनसनाहट
वही सिटपिटाहट
वही धुकधुकाहट
किसी गवाक्ष ने
क्या दिखला कर
छेड़ दिए फिर
उसके अन्दर?