ग़म को भी तराश कर ख़ुशी बना दिया
हमने ज़िन्दगी को ज़िन्दगी बना दिया
ज़िन्दगी मिली थी चन्द लम्हों की मगर
हमने लम्हे लम्हे को सदी बना दिया
अश्क, भूक, ग़म, फसाद, खूं, जले मकाँ
सब को जब समेटा शायरी बना दिया
ग़म को भी तराश कर ख़ुशी बना दिया
हमने ज़िन्दगी को ज़िन्दगी बना दिया
ज़िन्दगी मिली थी चन्द लम्हों की मगर
हमने लम्हे लम्हे को सदी बना दिया
अश्क, भूक, ग़म, फसाद, खूं, जले मकाँ
सब को जब समेटा शायरी बना दिया