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ग़रज़ पड़ने पर उससे माँगता है / अमित शर्मा 'मीत'

ग़रज़ पड़ने पर उससे माँगता है
ख़ुदा होता है या नी मानता है

कई दिन से शरारत ही नहीं की
मिरे अंदर का बच्चा लापता है

ये कच्ची उम्र के आशिक़ को देखो
ज़रा रूठे कलाई काटता है

गुनाहों की सज़ा सब दूसरों को
गरेबाँ कौन अपना झाँकता है

अजब कारीगरी है मीत उसकी
बदन को रूह पर वह टाँकता है