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ग़रीबे-शह्र के नाम / अहमद फ़राज़

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ग़रीबे-शह्र<ref>मुसाफ़िर जिसे शह्र में कोई नहीं जानता हो</ref> तिरी दुखभरी नवा<ref>आवाज़,पुकार</ref> प’ सलाम
तिरी तलब तिरी चाहत तिरी वफ़ा प' सलाम
हरेक हर्फ़े-तमन्ना-ए-दिलरुबा<ref>मनमोहक इच्छा के शब्द</ref> प’ सलाम
हदीसे-दर्दो-सुकूते-सुख़न<ref>दर्द की कहानी और वार्ता की चुप्पी</ref> अदा प’ सलाम


दरीदा दिल<ref>व्यथित हृदय</ref> ! तिरे आहंग साज़े-ग़म<ref>दु:ख का साज़</ref> प’ निसार<ref>न्यौछावर</ref>
गुहरफ़रोश<ref>जौहरी</ref>! तिरे रंग-ए-चश्मे-नम<ref>भीगी आँखों का रंग</ref> प’ निसार

जुनूँ<ref>विक्षिप्तता</ref> का शहर है आबाद फ़स्ले-दार<ref>सूली की ऋतु</ref> की ख़ैर
हरेक दिल है ग़िरेबाँ <ref>गला, ग्रीवा</ref> भरी बहार की ख़ैर
बुझे हैं बाम<ref>छत</ref> मगर शम्म-ए-रहगुज़ार<ref>रास्ते-का दीपक</ref> की ख़ैर
तमाम उम्र तो गुज़रे इस इ‍तज़ार की ख़ैर


रुख़े-निगारो-ग़मे-यार<ref>रूपसी चेहरा और प्रियतम के दु:ख</ref> को नज़र न लगे
गिला नहीं है मगर आँख उम्र-भर न लगे


दिलो-नज़र की शिकस्तों <ref>पराजयों</ref>का क्या शुमार<ref>गिनती</ref> करें
शुमारे-ज़ख़्म<ref>घावों की गिनती</ref> अबस<ref>व्यर्थ</ref> है निजात<ref>मुक्ति</ref> से पहले
कुछ और दीदा-ए-ख़ूँरंग<ref>रक्तरंजित आँख</ref> को गुलाब करें
सबा<ref>हवा</ref> का ज़िक्र क़यामत<ref>प्रलय</ref> है रात से पहले

अभी लबों पे हिकायाते-ख़ूँ-चकीदा<ref>रक्त-रंजित कथाएँ</ref> सही
ब-सीना रहे सिपरम-दस्तो-पा-बुरीदा<ref>औंधा पड़ा हुआ और हाथ-पाँव कटे हुए</ref> सही
 
 

शब्दार्थ
<references/>