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ग़लत क़िस्सा सुनाकर क्या करोगे / पंकज कर्ण
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ग़लत क़िस्सा सुनाकर क्या करोगे
हमारा सच छुपाकर क्या करोगे
ज़रूरत दूध है जिसकी उसे तुम
खिलौनो से मनाकर क्या करोगे
जो दुश्मन की तरह जीता है उसको
कोई दुश्मन बनाकर क्या करोगे
मैं आया हूँ समंदर तैरकर अब
मुझे दरिया दिखाकर क्या करोगे
नतीज़ा जो भी है अब सामने है
मुसलसल आज़माकर क्या करोगे
उसे तालीम है उल्फ़त की ' पंकज'
उसे नफ़रत सिखाकर क्या करोगे