भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ग़ैर आह सर्द नहीं दाग़ों के जाने का इलाज / वली 'उज़लत'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ग़ैर आह सर्द नहीं दाग़ों के जाने का इलाज
जुज़ सबा क्या है चराग़ों के बुझाने का इलाज

दिल-शिकस्तों की दवा ग़ैर अज़ गुदाज़-ए-इश्क़ नहीं
है गलाना टूटे शीशों के बनाने का इलाज

जौर से नादिम हो लब का काटना क़ातिल का है
दिल के ज़ख़्मों को मेरे बख़िया दिलाने का इलाज