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गाँव नै गाँब आरो शहरो शहर लागै छै / अमरेन्द्र

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गाँव नै गाँब आरो शहरो शहर लागै छै
एकरा कैन्हैंनी जुआनी के उमर लागै छै
हम्में सब खाड़ोॅ छियै ज्वालामुखी रोॅ मूँ पर
ककरौ लागै न लगेॅ हमरा मतर लागै छै
टूसा टूसी केॅ भले लोगोॅ रोॅ नजर लागै
ठुट्ठा गाछोॅ केॅ कहीं केकरो नजर लागै छै
धर्म तेॅ धर्म छेकै ओकरा की गाली देबोॅ
जादा मथला सें तेॅ ई दूधो जहर लागै छै
हुनकोॅ सुख सरंगो भरी लागै छै हुनका कुछ नै
हमरोॅ धरती भरी दुख कोबोॅ पसर लागै छै
आग दिल के नै बुझै आरो नै तेॅ लोरे सुखै
ई तेॅ सौंसे ही उमिर भर रोॅ सफर लागै छै
ओकरोॅ हाथोॅ में हमरा तीर थमाना छै अभी
ठीक धनुखे हेनोॅ कि जेकरोॅ कमर लागै छै
नै तेॅ दीवार नै टटिया नै खोॅर छपरी पर
डीहोॅ देखल्हे सें ई अमरेन के घर लागै छै

-5.6.92