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गाँव शराबी कर दिया खुलकर बाँटे नोट / बल्ली सिंह चीमा

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गाँव शराबी कर दिया खुलकर बाँटे नोट ।
अल्ला जाने क्या हुआ, मिले न फिर भी वोट ।

कुछ संसद में बिक गए, कुछ गुप्तवास में मौन,
सड़े-गले सौराज पर अब कौन करेगा चोट ।

गाँव में आ वो क्या करें, मूँगफली की बात,
जब शहरों में मिल रहे खाने को अखरोट ।

होंठ कहें कुछ और, हाथ करें कुछ और,
पर हाथों का दोष क्या, जब मन में है खोट ।

मार्क्स कहे कुछ और, कामरेड कुछ और,
इसलिए चर्चित हुआ ’कामरेड का कोट’