गांधारी है मेरा युग / रामेश्वर दयाल श्रीमाली
गांधारी है मेरा युग
आंखों पर बांधकर पट्टी
पालता है- सत !
है सुंदर समागम -
सत के साथ
आंखों की पट्टी का !
कितना सुंदर है-
गांधारी का यह सत
जो निभ जाता है
बांध कर आंखों पर पट्टी ।
सत ठहरा बस तब तक
जब तक थी आंखों पर पट्टी !
बांध कर आंखों पर पट्टी
चाहे कुछ भी कीजिए
जान-बूझ कर या अनजाने में
मनचाहा अपना
कुछ फ़र्क नहीं पड़ेगा ।
कोई टोके तो
झट से जबाब देना-
मुझे तो कुछ दिखाई नहीं देता !
गांधारी है मेरा युग !
हाथ पकड़ प्रत्यक्ष का
दिखाने पर भी
दिखता नहीं वह
मेरे इस युग को !
गांधारी है मेरा युग
जबरदस्त है पट्टी का प्रताप
दिखाई नहीं देता इसे कुछ भी
सत और असत का भेद
न्याय और अन्याय की सीमाएं
गरीबी और अमीरी का अंतर
कुछ भी नहीं दिखता !
नहीं दिखता इसे-
अत्याचार !
भ्रष्टाचार !
बिगड़े हालात !
अब बांध ली
आंखों पर पट्टी
मेरे देश के शासकों ने
और देश की जनता ने !
बांध कर पट्टी आंखों पर
किया जा सकता है-
मझ-दौपहर अंधेरा !
ऐसा महिमा-मंडित महान
सत है आप का !
अनुवाद : नीरज दइया