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गांधी बनना / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
तेज हवा न, आंधी बनना।
माँ मुझको तो गांधी बनना।
सीधी सच्ची, राह चलूंगा।
न झगडूंगा, नहीं लडूंगा।
दया प्रेम करुणा सीखूंगा।
बात-बात में न चीखूंगा।
मुझे नहीं जेहादी बनना। मां...
तकली पोनी मुझे दिलादे।
सूत कातना मुझे सिखा दे।
क्यों कुछ रहे विदेशी जैसा?
कहे सूत का रेशा-रेशा।
चरखे वाली खादी बनना। मां...
छुआ छूत न मानूंगा मैं।
सबको अपना जानूंगा मैं।
साफ सफ़ाई पहला नारा।
"सच्चाई" होगा जयकारा।
सत्कर्मों का आदी बनना। मां...
पल-पल का उपयोग करूंगा।
ध्यान साधना योग करूंगा।
कमजोरों को गले लगाना।
गिरे हुओं को सदा उठाना।
तन मन का फौलादी बनना। मां।