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गांव ही रैवै / संजय आचार्य वरुण
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राम करै
म्हारौ गांव
गांव ही रैवै।
खेतां में धान रैवै
ममता रौ मान रैवै
अलगूंजा गूंजै तो
होठां में तान रैवै।
बापू री ग्वाड़ी रौ
पंचां में मान रैवै
राम करै
म्हारौ गांव
गांव रैवै।
गरवल सी भाभी
ईसर रा भैया
बाखळ में बैल भैंस
ऊँट और गैया
जूठ री दुपहरियां मं
पीपळ री छांव रैवै
राम करै
म्हारौ गांव
गांव रैवै।