भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गांव / इरशाद अज़ीज़

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुण बजावै
चैन री बंसी
कुण पूजै पीपळ
कुण जोतै हळ
अर करै बिरखा री उडीक

स्हैर कांनी
आंख्यां मींच भाजतो
हांफतो म्हारो गांव
कांई बावळो होयग्यो।