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गाओ वही गीत कल के / त्रिलोचन
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गाओ वही गीत कल के
गाओ वही गीत कल के
प्राणों में चलके
फूल भरी डाल सा
लहर मन लेने लगे
और पेंग देने लगे
युग बनें पल के
सुर की तरंग में
अनेक रंग बह जायँ
एक रंग रह जाय
यहाँ वहाँ चल के
(रचना-काल -2-1-63)