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गाजर और कोंहड़ा / रामदरश मिश्र
Kavita Kosh से
गाजर से कोंहड़ें ने कहा
”ओ रे नन्हे,
गाँव में बड़ा खटका है“
गाजर बोला-
”बड़े भाई, तुम डरो, तुम्हारा लटका है“
हाँ गाजर क्यों डरे
वह नन्हा हुआ तो क्या हुआ
उसकी जड़ ज़मीन में धँसी है
और धीरे-धीरे उसमें मिठास पल रही है
डरे वह कोंहड़ा
जिसकी लंबाई दूसरों पर ठहरी हुई है
और जिसके फल
अपने बड़े होने का डंका पीट रहे हैं।
-4.12.2014