भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गाज़ा पट्टी पर ईद / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
दूर धरती से
बिल्कुल साफ है आसमान
पर क्या
नज़र आयगा चाँद लोगों को
खड़े-बिखरे इधर-उधर
या ताकते हुए सूराखों से
या उतरेगा चाँद
इज़राइल की पहाड़ियों पर!