एक दुनिया है चिड़िया की
जिस में कहीं नहीं
हूँ मैं
गाती है वह जो
मुझ को नहीं
चुप को अपनी शक्ल देना है
उस की आवाज़ लेकिन
दुनिया है मेरी
उसे आवाज़ देती हुई ।
—
25 अगस्त 2009
एक दुनिया है चिड़िया की
जिस में कहीं नहीं
हूँ मैं
गाती है वह जो
मुझ को नहीं
चुप को अपनी शक्ल देना है
उस की आवाज़ लेकिन
दुनिया है मेरी
उसे आवाज़ देती हुई ।
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25 अगस्त 2009