भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गाना-बजाना / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
रेडियो के भीतर
एक
औरत गाती है
और आदमी
बाजा बजाता है
बच्चा
रेडियो
खटखटाता है
जिसे गाना हो
बाहर आए
सामने मेरे
गाए-बजाए
जिस तरह
मैं
गाता
बजाता हूँ।