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गान करूँ मैं साँवरे तव महिमा सस्वर / रंजना वर्मा

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दान करूं मैं सांवरे तब महिमा सस्वर।
दर्शन पाऊँ नित्य ही तेरा मुरलीधर॥

मनमोहन तव नाम ले पल में प्राण तजूँ
विनय करे यह बावरी आन मिलो सत्वर॥

यदुनंदन के चरण में नमित रहे मस्तक
भवसागर से तारिये आ कर राधावर॥

बन जाता मधुमास है चलती तीव्र पवन
जब विनाश का दूत तब आता है पतझर॥

 टूट गए सपने सभी मिलन हुआ असफल
 साँवरिया की याद में हाल हुआ बदतर॥

सूने सूने कुंज सब सूना है पनघट
खा पछाड़ यमुना रही व्याकुल हुई लहर॥

कृष्ण कृष्ण रटती रहे सुबह शाम रसना
प्यारे तेरे दरश बिन जीवन है दूभर॥