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गाबी केॅ गेलै भी सब छेलै जे गाबैवाला / अमरेन्द्र
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गाबी केॅ गेलै भी सब छेलै जे गाबैवाला
आबेॅ जे छौं यहाँ सब छेकौं ऊ खाबैवाला
कोय जमाना में पुजारी रोॅ कमी नै रहलै
मतरकि जन्मै छै कभियो ही पुजाबैवाला
देखैवाला नै दिखाबै छै सौंसे मेला में
एक बन्दर छै आरो सौ छै नचाबैवाला
कौनें धनवन्तरी, सुसरुत, चरक रोॅ कद्र करेॅ
मुरदा केॅ मिललोॅ उपाधि छै - जिलाबैबाला
आपनोॅ देशोॅ में धरम-जाति रोॅ चलती भेलै
के कहै कि शदी इक्कीसवीं आबैवाला
जे छै निर्दोष ऊ छिपलोॅ फिरै छै डर सें ही
खूनिये खून केरोॅ शोर मचाबैवाला
जागथैं - जिन्दगी सौंसे ही ओकरोॅ गुजरै छै
जे छै दुसरा के यहाँ नीन चुराबैवाला
सबसें रूठी केॅ चली देलकै दूर अमरेन्दर
सबकेॅ आखिर में कनाय केॅ - ऊ हसाबैवाला
-2.6.91